गर्मियां प्रतीक है विनाश और सृजन का। गर्मियां प्रतीक है विनाश और सृजन का।
बसंत ऋतु आज आँखें मल रही है लग रहा है प्रकृति का रूप सुनहरा बसंत ऋतु आज आँखें मल रही है लग रहा है प्रकृति का रूप सुनहरा
बस फिर, बहुत सहज होगा तुम्हारे लिए मुझे भूल पाना बिल्कुल सम्भव असम्भव कुछ भी नहीं होता। बस फिर, बहुत सहज होगा तुम्हारे लिए मुझे भूल पाना बिल्कुल सम्भव असम्भ...
नादान तूने नियति के नियमों को तोड़ा है नादान तूने नियति के नियमों को तोड़ा है
नारी महत्वहीन जो होती तो जीवनदायिनी प्रकृति क्यों स्त्री लिंग होती ? नारी महत्वहीन जो होती तो जीवनदायिनी प्रकृति क्यों स्त्री लिंग होती ?
परिवर्तन प्रकृति का शास्वत सत्य है, ऐसा हो ही न ये तो नामुमकिन है। परिवर्तन प्रकृति का शास्वत सत्य है, ऐसा हो ही न ये तो नामुमकिन है।